Sunday, September 22, 2013
Friday, September 06, 2013
Oye Kabira!
I am sure Saint Kabir knew that this new generation would get hooked to twitter, what he said then is still relevant today. (Interpreted by Shiv Mishra and yours truly)
पोथी पढ़ि पढ़ि
जग मुआ, पंडित
भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम
का, पढ़े सो
पंडित होय।
उपरोक्त दोहे के
माध्यम से कबीर
दास जी सन्देश
देना चाहते हैं
कि हे ट्वीपल
न ही मोटी-मोटी पुस्तकें
पढने से और
न ही अपने
ट्विटर बायो में
आईआईटी/आईआईएम लिख देने
से ट्विटर पर
पंडित या विद्वान
कहलाये जाओगे. यह न
भूलो कि ज्ञान
नहीं, अपितु ज्ञान
की बातें ट्विटर
पर तुम्हारे विद्वान
या पंडित कहे
जाने का मार्ग
प्रशस्त करती है.
इसलिए हे ट्वीपल
अगर विद्वान कहलाने
की लालसा है
तो फिर ट्वीट
लिखकर बताओ कि
‘Just got my copy of ‘Human Psychology’ from flipkart, #nowreading.
धीरे-धीरे रे
मना, धीरे सब
कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा,
ॠतु आए फल
होय।
उपरोक्त दोहे के
माध्यम से कबीरदास
ट्वीपल से कह
रहे हैं कि
टेक इट ईजी
डूड. बार-बार
मेंशन या प्लीज
आरटी लिखने से
कुछ नहीं होगा.
हे ट्वीपल वैसे
तो आईफ़ोन, आईपैड,
एस-फोर वगैरह
रखना ईजी है
और धीरज रखना
कठिन, किन्तु सफलता
की कुंजी बताती
है कि धीरज
ही रखने की
जरूरत है. जब
तुम्हारा समय आएगा
और सामने वाले
को पता चल
जायेगा कि तुम
बड़ी कंपनी में
उच्च-पद पर
कार्यरत हो, तब
तुम्हें आरटी अपने
आप मिलने लग
जाएगी क्योंकि सामनेवाला
जबतक आरटी नहीं
करेगा वह तुम्हें
लिंक्ड-इन पर
इनवाईट नहीं कर
पायेगा.
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन
कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना,
निर्मल करे सुभाय।
उपरोक्त दोहे के
माध्यम से कबीरदास
जी यह सन्देश
देना चाहते हैं
कि हे ट्वीपल
अपने आलोचक को
न केवल फालो
करो अपितु उसे
अपने और पास
रखने के लिए
उसके साथ डीएम
का आदान-प्रदान
भी करो. क्योंकि
ट्विटर पर असली
आलोचक वह होता
है जो तुम्हारी
गल्तियाँ तुम्हें बताकर उनमें
सुधार कर पाए
या न कर
पाए, अपनी आलोचना
से तुम्हें फेमस
जरूर कर देता
है.
जहाँ एक तरफ
कुछ विद्वान इस
दोहे का भावार्थ
यह निकालते हैं
वहीँ सोशल मीडिया
के कुछ और
भावार्थ-वीरों का मानना
है कि यह
दोहा कबीरदास जी
ने एक्स्क्लुसिवली ऐसे
ट्विटर सेलेब के लिए
लिखा है जिन्हें
अपनी असाधारण रूप
से साधारण ट्वीट
के लिए भी
एपिक नामक टिप्पणी
पढने का नशा
होता है. कबीरदास
जी ऐसे ट्विटर
सेलेब्स को इस
दोहे के माध्यम
से सन्देश दे
रहे हैं कि
हे ट्वीपल तुम
मानो या न
मानो लेकिन सत्य
यही है कि
हरबार तुम ऐसा
ट्वीट नहीं ठेल
सकते जो एपिक
हो और एपिक
के अलावा कुछ
भी न हो.
इसलिए जब तुम्हारा
कोई फालोवर उसे
रद्दी करार दे
दे, तो उसकी
आलोचना का सम्मान
करो और उसे
कुछ मत कहो
क्योंकि तुम्हारे बाकी चेले-चपाटे उससे खुद
ही निपट लेंगे.
जाति न पूछो
साधु की, पूछ
लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार
का, पड़ा रहन
दो म्यान।
उपरोक्त दोहे के
माध्यम से कबीरदास
जी ट्वीपिल को
संदेश देते हैं
कि ट्विटर पर
फालोवर से यह
पूछने की जरूरत
नहीं कि वह
रागां का फैन
है या नमो
का. कौन किसका
फैन-शैन है
यह जानने में
कुछ आनी-जानी
नहीं है. असल
ज्ञान यह जानना
है कि कौन
से फैन फालोविंग
से ज्यादा आरटी
मिल सकती है?
जिस ग्रुप से
ज्यादा आरटी मिले,
बस उसी के
फैन बन जाओ,
फालोवर भला करेंगे.
हिन्दू कहे मोहि
राम पियारा, तुरक
कहे रहमाना,
आपस में दोउ
लडि लडि मुए,
मरम न कोऊ
जाना।
इस अत्यंत महत्वपूर्ण दोहे
के माध्यम से
कबीरदास जी कहते
हैं कि ट्विटर
पर कोई शाहरुख़
का भक्त है
तो कोई सलमान
का. इन दोनों
के भक्तों की
मंडली सुबह-शाम
आपस में लडती-भिड़ती रहती है.
यह साबित करने
के लिए दोनों
में से कौन
महान है? लेकिन
लड़ने-भिड़ने में
बिजी दोनों ग्रुप
आजतक इस मरम
का पता नहीं
लग पाए कि
लाखों लोग जस्टिन
बीबर और केआरके
दीवाने क्यों हैं?
सात समंदर मसि करौ,
लेखनि सब बनराइ,
धरती सब कागद
करौ, हरि गुन
लिखा न जाइ।
कबीरदास जी कहते
हैं सात समंदर
की स्याही घोल
लो और संसार
भर के वनों
के पेड़ से
कलम बना लो
फिर भी ट्विटर
पर विराजमान उस
फ़िल्मी भगवान की रिप्लाई
के जवाब के
एवज में उसकी
महिमा का बखान
नहीं कर सकोगे
जो उसने तुम्हारे
एक हज़ारवें ट्वीट
के बाद तुम्हें
दिया है. हे
ट्वीपल जब यह
करके भी तुम
धन्य नहीं हो
सकते तो ट्वीट
तो केवल एक
सौ चालीस करैक्टर
का होता है.
ऐसे में अपने
उस फ़िल्मी स्टार
रुपी भगवान की
रिप्लाई का बखान
करने के लिए
एक हज़ार ट्वीट
लिखकर उसे थैंक
यू बोलोगे तो
भी उसका कर्ज
नहीं उतार पाओगे.
जो जल बाढ़े
नाव में, घर
में बाढ़े दाम,
दोऊ हाथ उलीचिए,
यही सयानो काम।
कबीरदास जी कहते
हैं कि जब
तुम्हारे फ़लोवर्स की संख्या
हजारों में हो
जायेगी और तुम
अपने घर वालों
को दिखाते हुए
बताओगे तो तुम्हारे
घर में तुम्हारा
दाम बढेगा. अपना
दाम बढाने के
लिए तुम्हें और
फ़ालोवर्स चाहिए और इसका
एक ही मन्त्र
है कि तुम
नए नए फलोवार्स
की ट्वीट की
रिप्लाई दोनों हाथ से
उलीच कर करते
रहो. फालोवर्स की
संख्या बढ़ती रहेगी और
घर में तुम्हारा
दाम भी बढ़ता
रहे.
अति का भला
न बोलना, अति
की भली न
चूप,
अति का भला
न बरसना, अति
की भली न
धूप।
श्री कबीरदास का उपरोक्त
दोहा ऐसे ट्वीपल
के लिए नीतिवचन
टाइप है जो
दिनभर में दो
ढाई सौ ट्वीट
ठेल देता है.
उपरोक्त दोहे में
कबीरदास जी ऐसे
ट्वीपल को इशारा
करते हुए बताना
चाहते हैं कि
हे ट्वीटयोद्धा दिनभर
ट्वीट करने से
कुछ नहीं मिलेगा.
ऊपर से लोग
जान जायेंगे कि
तुम्हारे पास और
कोई काम-धंधा
नहीं है इसलिए
तुम सारा दिन
ट्विटर से चिपके
रहते हो. साथ
ही वे ऐसे
ट्वीपल को भी
इशारा करके समझा
रहे हैं जो
दिन भर सरकार
और मीडिया पर
बरसते रहते हैं.
वे उन्हें हिदायत
दे रहे हैं
कि ज्यादा बरसना
ठीक नहीं है
क्योंकि इधर तुम
बरसोगे और उधर
सरकार और मीडिया
धूप करके इस
बरसात को सुखा
देंगे.
सांई इतना दीजिये
जामे कुटुंब समाय,
मैं भी भूखा
न रहूं, साधु
न भूखा जाय।
इस दोहे के
माध्यम से संत
कबीरदास ने ट्वीटबाजों
के लिए नहीं
अपितु फेसबुकियों के
लिए सन्देश दिया
है. कबीरदास जी
फेसबुकी से कहते
हैं कि वह
अपने सांई से
फेसबुक के फोटो
और एलबम वाले
सेक्शन में उतनी
जगह मांगे जिसमें
उसके और उसके
कुटुंब यानी परिवार
के हर सदस्य
की हर होलीडे
की फोटो लग
जाए और उसका
पूरा कुटुंब उन
अलबमों में समा
जाय. वह फेसबुक
प्रोफाइल पर इतनी
फोटो डाल दे
कि फिर उसे
फोटो डालने की
भूख न रहे.
साथ ही फ्रेंड
रुपी साधु उन
फोटो को देखकर
इतनी लाइक दे
कि लाइक देने
से उसका पेट
भर जाए और
उसे भूखा वापस जाने की जरूरत न पड़े.
रात गंवाई सोय के,
दिवस गंवाया खाय,
हीरा जन्म अमोल था,
कोड़ी बदलेजाय।
इस दोहे के माध्यम
से कबीरदास जी कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि हे ट्वीपल रात को सोकर और दिन को खाकर अपना
जीवन व्यर्थ न करो. असल मज़ा लेने के लिए पूरी-पूरी रात ट्वीट करो. यह चिंता न करो
कि रात हो गई है और तुम्हारी ट्वीट कोई नहीं पढ़ेगा। अरे भारत में रात है तो क्या हुआ,
ऑस्ट्रेलिया में तो दिन है और कैनाडा में शाम. इसलिए दिन रात ट्विटर पर लगे रहो. परिवार,
मित्र वगैरह तो आते-जाते रहेंगे लेकिन ट्विटर पर फालो करने वाला एकबार चला गया तो फिर
वापस नहीं आएगा और ट्विटर पर ही नहीं, घर में भी तुम्हारा मोल घट जायेगा.
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Saturday, July 27, 2013
Short, Dark & Fat !
![]() |
Dark is beautiful! |
‘Dark is beautiful’! Of Course, what big deal! For ages, we have been
saying ‘Tall, Dark & handsome’, so what is new around it.
Oh wait, we are
talking about women. That ‘Dark’ in Tall, Dark and Handsome was for men. For women, they have to be
fair to be pretty, that’s what we have been told, since ages, till now.
Then this campaign ‘Dark is beautiful’ caught my eye. It
touches heart I must say, and it is very much required, yes even in these times.
Till when we will keep fooling around with euphemisms like ‘wheatish’ for ‘dark
women’. Dark is beautiful. Thank You, Nandita Das.
But, why end here. Why the hell one needs to be ‘Tall’. Why
not ‘Short is beautiful’ as well. I am really fed up of brands like Complan,
Bournvita, Horlicks advocating superiority of tall kids over short and boasting
about how their products help kids getting taller. Sick.
Imagine, these ads are shown
on kids’ channels. At that tender age, we are seeding them with the notion that being short is not good. May I request Sachin or Aamir to bust the myth and bring
this much needed change as well – ‘Short is beautiful’.
Other thing we need to tackle is this notion about being ‘Fat’. I
understand obesity can be unhealthy. But why being plump is not beautiful. Boman Irani, can you help please!. (I would have said Sonakshi Sinha, pretty and certainly not thin, but not sure If she also thinks the same).
I wish ASCI does something and ask these companies to not only withdraw these ads but issue apology as well.
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Friday, July 12, 2013
Note to my kids, and the kid in me.
Guys, I don't claim to be so successful that I can tell you any success mantra but I am certainly more experienced than you, some 880 million seconds more experienced. So, spare couple of minutes for your old man.
1. We don't live once. We live every day, every hour, every moment. So, it's never too late to start or restart.
2. Listen, and observe. Learn, and keep learning. Travel. Education is just one way to learn, not the only way. Most of your learning will come from listening, observing.
3. Be known for your values. Instead of being known as that tall MBA, prefer to be known as that courageous dude or that honest girl. Pick some values early in life, and stick to it.
4. Failure or success, are part of life. Just remember, never ever let success go into your head or failure into your heart. Both are temporary and shall pass.
5. Money. Do make money, but spend. There's no better use of money. Give! No better joy than joy of giving. Till you start earning, do it with your Dad's money. Trust me, even he doesn't have any better use of money.
6. Passion. Have a passion. Be so passionate about at least one thing that you need not say, it should show.
7. Race. Life is not a sprint, it's not even a marathon but a long walk. No need to compete to be first in your class or to make more money than some one else. Enjoy the run, the music, the scenery. Competitions are inevitable but they hurt. Avoid them, as far as you can.
8. Friends and Family. Make friends and keep them. Be friends with family and treat friends as family.
9. Respect.Treat your elders with respect and love. They may not be always right yet been there where you are now, so let them feel important.
10. Choices. When stuck and you have to choose between what your Mom says or what your Dad says. Listen to both and do what your heart says.
If you don't get what I said, don't bother, have fun.
PS: If I ever deviate, point me to this post.
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PS: If I ever deviate, point me to this post.
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Saturday, June 29, 2013
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